Wednesday 3 December 2014

My Love Account

आज रात अपने पुरे सबाब पे थी, अन्धेरा घाना था पर स्ट्रीट लाइट की रोशिनी ने उस अँधेरे के आस्तित्व पर सवालिया निसान लगा रखा था , हा! कुछ चमगादड़ो को उड़ाते जरूर देखा जा सकता था पर उनके सोर उनकी माजूदगी का ज्यादा आहसास करवा रहे थे।| चाँद आज बदलो के साथ लुका छुपी का खेल खेल रहा था,  मानो इस उलजान में था की आज निकलू या बादलो के नरम नरम बिस्तर पर  सारी रात बीता दू। इन सभी बातो से बेख़बर विराट अपने आंशुओं और सिसकियो के साथ अपने गम का जसन्न मना रहा था, रात का अँधेरा उसे अपनी जिंदगी में आये अन्धेरे जैसा लग रहा था, वो इस बात से बिलकुल अनजान की घडी में समय का हुआ हे, और उसके घर न पहुचने की वजह से उसके मम्मी पापा कितने परेसान थे, तभी उसने आशुओ की प्याली को किनारे रखकर मोबाइल की तरफ देगा, ओह्ह! BC 2 बज गए, उसने हड़बड़ी में घर पर फ़ोन मिलाया और सुबह आने की बात बोल कर उनको शांत किया। आज से करीब 4 साल पहले वो प्रिया से यही इस जगह , पार्क में मिला था,  जब वो  कुछ बच्चों के साथ खेल रही थी एक आजीब सा चुलबुलापन था उसके अंदर, हर बात पर बिना वजह हँसना , और बच्चों से साथ आजीब सा लागव , देखते ही उसे उससे प्यार हो गया , दिल चाहता था उसे देखते जाये देखते जाये, कुछ देर बात वो तो चली गयी पर उसकी एक तस्वीर उसके मन में बस गयी, आँखे बंद करते ही उसका चेहरा सामने आता था, उसने उसे खूब ढूढना चाहा पर नहीं मिले, एक दिन वो अपने छत पर बेठा किताब पढ़ रहा था तभी उसके नाजर सामने वाले घर पर गयी, oh my god! That's the same girl, कहते हुए उसने अपनी किताब दूर रख दी और बस उसको निहारने लगा, चाहा अभी जाऊ  और उसे अपनी बाहो में भरकर कह दू, yes , I love u. पर उसने जब उसको देखा वो वहाँ से चली गयी, पर एक उम्मीद की किरण अभी भी बाकि थी, क्योंकि जिस घर में वो दिखी थी, वो उसके दोस्त का घर था जो अभी कुछ दिन पहले ही बना था, शाम को वो जान बुजकर उसको खेलने के लिए बुलाने गया, वो लड़की फिर घर के अन्दर दिखी, मतलब हो न हो ,यह या तो उसकी बेहन या फिर कोई रिलेटिव होगी, खेल के dooraan पता चला यो लड़की उसकी बेहन हे, फिर क्या था उसने उससे दोस्ती अच्छी करने में ज़यादा वक़्त नहीं लगाया और उसके घर में एंट्री प् ली, और धीरे धीरे उसने उसके मम्मी पापा पर अच्छा impression बना लिया, वो अब दिन भर अपनी छत पर रहता, (सुबह7 बजे से रात 11 बजे तक ,) वो हर वक़्त उसके आने का इंतिज़ार करता , उसे सक न हो इसलिए वो अपने हाथ में किताब जरूर रखता था, ऎसे ही वक़्त बिताता गया, पर सायद उसको उसपर सक होने लगा था, इसलिए विराट ने अपनी फिजिक्स का इस्तेमाल किया, वो एक जगह छुप जाता था और उसके घर के जस्ट सामने ,यानि अपने घर पर digonaly सीसा रख दिया ताकि उसकी इमेज को देख सके,  plan कामयाब रहा और ऐसा करते करते वक़्त बीत गया , हा अब उन दोनों में बातचीत जरूर चालू हो गयी थी  पर वो ज्यादार बात पढ़ाई पर होती थी , क्योंकि वो लड़की उसे इंटेलीजेंट समझती थी, पर इसी बीच उसने भी अपना एडमिशन उस लड़की के ट्यूशन में करवा लिया ताकि ज्यादा वक़्त मिले बात करने को, अब वो दोनों साथ में रहने लगे थे, साथ में ट्यूशन जाना और साथ में होटल में खाना खाना सब अच्छा चल रहा था पर इसी बीच उससे एक गलती हो गयी, उसने उससे कहा की वो उसको पसंद करता था, और दिल से चाहता हे,उस  समय उस लड़की ने कोइ जबाब नहीं दिया बस चली गयी, अगले दिन से उस लड़की ने उससे बात करना बंद कर दिया, उसने फ़ोन किया, fb पे बात करनी चाही पर सब बेकार, उस लड़की ने उसे ब्लाक कर  दिया और फ़ोन  भी नहीं उठाया, गुस्सा हो कर वो उसके घर पहुच गया और एक बार मिलाने को माना लिया और वो मान गयी, पर उसके दिमाग में क्या चल रहा था इस बात से बेखबर उसको कंवीएन्से करने के लिए स्क्रिप्ट तैयार कर रहा था, वो दोनों मिले तो सही , बात भी हुई पर आज वो लड़की चिल्ला कर बात क्र रही थी मानो चाहती हो की दूसरे सुने, और ऐसा करते करते उसकी इज्जत  का फालूदा निकाल दिया और बात में होटल का दरवाजा बंद क्र के चली गयी, फिर बात नहीं हो पायी, दिल तो किया की जान दे दू पर वो शांत रहा , कुछ दिनों बाद उसके दोस्त ने उसे  बाताया की वो लड़की किसी और को चाहती हे, उस लडके का नाम था पियूष , जो विराट से ज्यादा गुड लुकिंग और स्मार्ट था और साथ ही साथ पैसे वाला, उसकी सकल देख कर उसे याद आया "अरे यह यो मेरे साथ स्कूल में था, एक नो. का कमीना use and throw ki policy this uski" उसने प्रिय को उससे दूर रहने को कहा पर हुआ उल्टा बेचारे को कुछ गुंडों ने बीच रस्ते बहुत मारा, उसे चोट को छुपाने के लिए आज इस पार्क में वो बेठा था, और उस बेंच पर कब सो गया पता ही नहीं चला,घर पहुच क्र सीधा अपने कमरे में गया और सो गया, माँ दूध ले कर आई , तो पीने से माना कर दिया, पर माँ क्या दिल सब जनता हे, उन्हीने उसका सर अपने पैर पर रखा और उसके बालो को सहलाने लगी, जो स्याद् उससे बर्दाश नहीं हो रहा था क्योंकि उनकी हर सर्पश से वो अंदर से टूटता जा रहा था, पर उसने अपने आप को सम्हला, और नाहने के बहाने वह से चला गया, पर वो आज कल गुमसुम सा रहने लगा था, पहले जब वो मेट्रो से। आता था तो लडकिया ताड़ेते हुआ आता था पर अब सब बंद था, ऑफिस वालो ने यह कह कर निकाल दिया की उसका काम में मन नहीं लगता, उसकी जिंदगी नर्क सी बन गयी थी, उसकी जिंदगी आज जहा हे उसकी कल्पना उसने सपनो म भी की होगी, यह सब हुआ एक लड़की की वजह से, यो ज्यादातर सपनो में रहना पसंद करता था और करता था उस पार्क में बठ कर अपनी पुराणी जिंदगी को याद करना, आज फिर वो उसी पार्क में बेठा अपनी पुराणी जिंदगी को याद कर रहा था, तभी एक बॉल उसे आ के लगी, यो फुट बॉल थी, जिसमे की हवा नहीं थी, जिसे कुछ गरीब बच्चे इदर उदर फेक रहे थे, उसे न जाने क्या सुझा की उसने उसमे हवा भरवा के उन बच्चो को दी,और बच्चो के साथ काफी देर तक खेल भी, आज 2 साल के बात उसे अपनी लाइफ में माज़ा आया था, न लडको से बात करनेपर पाता चला, की वो स्कूल नहीं जाते और rag pickers he..उन्होंने उसे अपनी लाइफ की हर दस्ता से रूबरू करवाया, स्याद् यह वही पल था जब उसे अपना दुःख छोटा लग रहा था, और उसने चाहा की वो इस दिशा में कुछ करे, उसने एक  ngo ज्वाइन की और वहाँ दिल लगा के काम किया और फिर कुछ समय बात अपनी खुद की ngo खोल ले, आज उसको प्यार करने वाले 150 बच्चे हे, जिनके प्यार का वो अकेला मालिक हे, अब उसकी जिंदगी सुधर गयी हे, और उसे अब हर चीज़ से प्यार हे. फूलो से, रातो से, बिना मतलब की बातो से, सब से , यो प्यार जा साँचा सौदागर हे. कुछ दिनों पहले उसके पास एक phone आया, आवाज़ कुछ जनि पेचानि लगी , अरे यह तो प्रिया हे, कहते हुए उसके चेहरे पर एक आजीब से मुस्कान आई, उसने कहा वो उससे मिलाना चाहती हे उसी पार्क में, जहा दोनों पहली बार मिले थे, वो जब वहाँ पहुचा तो वो वहाँ पहले से थी, दोनों में बात हुई तो पता चला की जिस बात का डर था वही हुआ, और अब वो उसके साथ काम करना चाहती थी, वो मान गया, और दोनों मिलकर उस ngo को चलाने लगे, अब बच्चो का प्यार दोनों में बट गया  पर प्यार प्यार हीे रहा, कुछ सालो बात दोनों ने saadi कर ली और फिर जिंदगी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।।।।।।।